Gout गठिया
गठिया होम्योपैथिक इलाज
शरीर के जोड़ों के ऊतकों में हाइपरयुरीसिमिया के कारण मोनोसोडियम यूरे क्रिस्टल के जमा होने के कारण जोड़ो में सूजन तथा तीव्र दर्द होने को गठिया कहते है।
कारण :
व परिवारिक व जेनेटिक कारणो से
व पुरूषों में रोग की संभावना अधिक होती है।
व तनाव
व शराब ज्यादा पीने से।
व किडनी के खराब होने के कारण।
व थायराइड के असंतुलन से।
लक्षण :
अचानक जोड़ों में तीव्र दर्द होना मुख्यतः पैर के बड़े अंगूठे मे।
जोड़ों मे सूजन होना।
जोड़ो का लाल होना।
जोड़ों को छूने पर दर्द होना।
जोड़ों का गर्म लगना।
क्या करें क्या न करे।
व अगर गठिया का पारिवारिक इतिहास हो तो शराब, वसा, मांस का इस्तेमाल कम करे।
व शाकाहारी भोजन खायें जिसमें सलाद की संतुलित मात्रा अवश्य रखे।
व पानी समुचित मात्रा में अवश्य पीये। पानी का समुचित उपयोग अत्यधिक लाभकारी है।
व फलों का जूस पीयें।
व केला, नाशपाती, अनार के सेवन से बचें।
व सुबह शाम टहलनें की धीरे- धीरे आदत डालें।
व मटन, काफी शराब, (कलेजी) का सेवन न करे।
व शराब पीना रोक देें।
व अगर वजन ज्यादा हो तो उसे कम करें। आराम मिलेगा।
व चिकित्सक से परामर्श जरूर लें चाहें तत्काल सूजन आदि से आराम मिल गया हो क्योंकि किडनी को प्रभावित कर सकता है।
व अगर लगातार दर्द हो रहा हो।
व गठिया की दवायें लेने पर भी आराम न मिल रहा हो तो।
होम्योपैथिक चिकित्सा : अपने लक्षणों के बारे मे चिकित्सक को बताये। इस रोग के इलाज के लिए परहेज अत्यधिक आवश्यक है। मौसम बदलाव के समय, अत्यधिक गर्मी के समय पानी समुचित मात्रा में, पेशाब में जरा सा पीलापन या बदबू होने पर चिकित्सक को बतायें। दवायें वैसे तो लक्षणों के आधार पर, लेकिन लीडमपाल, बेन्जोई ऐसिड आदि प्रमुख दवायें है।