Giardisis & Amoebiasis
गर्मियों में जियार्डियासिस एंव अमीबियासिस से बचें।
ऐसा कहा जाता है कि कब्ज समय का चोर है और डायरिया किसी का इंतजार नहीं करता।
अमीबियासिस – आंत मे प्रोटोजोआ एण्ट अमीबा हिस्टोलिटिका द्वारा होने वाला संक्रमण जो कि संक्रमित खाद्य एंव पेय पदार्थो के सेवन से होता है। इसके कारण लगातार डायरिया बने रहना पेट में मरोड़ वाला दर्द तथा कभी कभार आंव और रक्त भी स्टूल में आता है। पुराने अमीबियासिस में कभी कभार कब्ज भी बना रहता है। आंत में छेद होना, पेरिटोनाइसिस, रक्तस्राव और टाक्सिक मेगाकोलन : बीमारी के अत्यधिक बढ़ने पर हो सकते है।
व लीवर में अमीबियासिस या तो संक्रमण के दौरान ही या 3 महीने बाद तक हो सकता है। इसके कारण लीवर मे सूजन आ जाती है तथा लीवर के ऊपर की त्वचा पर स्पर्श करनें से दर्द महसूस होता है। इसके कारण ज्वर भी हो सकता है।
व स्टूल के टेस्ट से संक्रमण का पता चल जाता है। लीवर अमीबियासिस मे अल्ट्रासाउण्ड से बीमारी का सही पता चल जाता है।
व प्रोगनोसिस – संक्रमण के शुरूआती दौर में इसका इलाज आसानी से संभव है।
जियार्डियासिस – संक्रमित खाद्य एंव पेय पदार्थो द्वारा प्रोटोजोआ जियार्डिया लैम्बलिया के सिस्ट द्वारा आंतों में होने वाला संक्रमण है।
व जियार्डिया के कारण पानी की तरह का स्टूल हो सकता है जिसके साथ गैस भी निकलती है।
व स्टूल में आँव का होना भी संभव है पर रक्त का नहीं।
व इसके कारण वजन का कम होना, कमजोरी महसूस करना, लगातार पेट का फूला हुआ रहना तथा कुपोषण के लक्षण भी मिल सकते है।
व इसका नाम तुरन्त स्टूल के परीक्षण द्वारा किया जा सकता है। उसमें परजीवी के अण्डे तथा परजीवी पाये जाते है।
व जियार्डियासिसि का इलाज संभव है तथा उचित औषधियों द्वारा इसे जल्द ही काबू किया जा सकता है।
क्या करें क्या न करे।
व साफ सफाई का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। कटे हुए फल न खाये।
व खाना खाने से पूर्व हाथ सफाई से धोयें।
व पीने वाले पानी को संक्रमित होने से बचाये।
व ताजा भोजन करें तथा खाने की जगह को साफ रखे।
होम्योपैथिक चिकित्सा।
दस्त की शुरूआत होते ही चिकित्सक से मिलें घर में प्राथमिक चिकित्सा के रूप में नक्स वोम 30 एंव मर्क सोल 30 रखे। दवा का सेवन चिकित्सक से पूरा कर करे।