Warts
वार्टस – मसे होम्योपैथी में ही इलाज संभव
वार्टस त्वचा पर होने वाले सख्त या मुलायम खुरदुरे छोटी – छोटी गांठ है यह हयूमन पैपिलोमा वाइरस द्वारा होने वाला रोग है। यह मुख्यतः त्वचा की बढ़ी हुई कोशिकाओं से बनती है।
वार्टस कई प्रकार के होते है और उनमें से कई समय के साथ शीघ्र ही ठीक हो जाते है। उनमें खुजली करने से वायरस के फैलने की संभावना रहती है।
लक्षण :
व त्वचा पर सफेद, गुलाबी या त्वचा से मिलते जुलते रंग की गांठ होना।
व ये समूह में गर्दन, चेहरे, सीने या शरीर के किसी अन्य भाग मे होता है।
सावधानी :
व अच्छी तरह से सफाई बरते। रेजर वगैरह दूसरों का इस्तेमाल शेयर करनें से बचें।
व संतुलित भोजन जो विटामिन्स ए, सी, तथा ई मे परिपूर्ण हो। अपने भोजन में जिंक तथा विटामिन बी काम्प्लेक्स शामिल करें।
व वार्टस से मुक्त होने के लिए उसे जलायें नहीं, न काटें।
व अगर वार्टस 45 वर्ष की उम्र के बाद हो, तो चेकअप के लिए जाये।
व अगर वार्टस अचानक मुलायम हो, अपने आकार प्रकार में परिवर्तन हो अथवा उनमें रक्तस्राव हो तो तुरन्त जांच करवायें जिससे समय पर इलाज हो सके।
होम्योपैथिक इलाज –
लक्षणों के आधार पर किस जगह पर पार्टस हुये है वैसे वार्टस थूजा के नाम एंव असर से आम आदमी भी परिचित है अन्यथा दवाइयों कास्टिकम, एटिम क्रड इत्यादि है।