Piles
आधुनिक समाज के नए जीवन परिवेश में यह एक आम शिकायत हो गयी है। परन्तु चिकित्सा विज्ञान की प्रगति के साथ अच्छा समाचार यह है कि बवासीर का इलाज अच्छे होम्योपैथी चिकित्सक से बहुत आसानी से सम्भव है।
यह माना गया है कि किसी आंतरिक रोग का विकसित प्रतिरूप है, जिसका इलाज सिर्फ अन्दरूनी तरीके से होम्योपैथी दवाओं से ही संभव है।
इसे चिकित्सीय भाषा में ‘हेमोरॉइड्स‘ कहा जाता है। यह गुदा मार्ग में ‘हेमोराइड्स प्लेक्सेस‘ की रक्त नलिकाओं का फूलकर बड़ा हो जाना और फूलने के बाद उसी स्थिति में कड़े हो जाने से होता है। होम्योपैथी में बवासीर को ठीक करना औषधियों से पूर्णतया सम्भव माना गया है।
कारण :
अत्यधिक अतिसार (दस्त) अथवा कब्ज से।
अधिक एल्कोहल का प्रयोग करने वालों को।
यकृत की बीमारियों की वजह से।
असामयिक दैनिक खान पान की व्यवस्था से।
वाहनों में बैठकर ज्यादा समय तक सफर करनें से।
इसके अतिरिक्त रक्त धमनी तंत्र में दबाव एंव रूकावट जो कई चरणों से हो सकती है जैसे गर्भधारण और बच्चा पैदा होने के समय।
गुदा मार्ग की गांठ एंव कैसर से।
शौच मे जोर लगाना, लगातार भार उठाने से।
अधिक तैलीय वस्तुओं का सेवन, पानी का कम मात्रा में सेवन करनें से साफ शौच नहीं होती, जिससे जोर लगाकर मल त्याग करना पड़ता है जो बवासीर का प्रमुख कारण है।
प्रमुख लक्षण बवासीर के –
1. मलद्वार में तकलीफ महसूस करना।
2. मलत्याग करने के पश्चात भी असंतुष्ट, बारम्बार शौच के लिए जाना।
3. मलद्वार में रक्त बूँदों का निकलना।
4. मलद्वार का भरा हुआ महसूस करना जैसे कि मल रूका या बाकी है।
5. दर्द होना – बवासीर की गांठों से मुख्यतः जलन के साथ चुभता हुआ दर्द एंव टीसता हुआ दर्द महसूस होता है। जिससे पीड़ित बैठ नहीं पाता है।
6. मल त्याग के बाद कांटे चुभने जैसा दर्द अथवा बैठनें पर जलन महसूस होती है।
7. मलद्वार से स्त्राव, मल का निकलना लगा रहता है (फिशर)
सावधानी बरतें –
लम्बी दूरी का सफर एंव ज्यादा साइकिल चलाने से बचे व आराम लें।
पानी अधिक मात्रा में ले। इसके लिए हर घंटे पर कम से कम एक गिलास (250-300 मिली0) पानी पियेंं।
शौच में ज्यादा जोर तथा कब्ज से बचें।
आवश्यकता महसूस होने पर तुरन्त शौच जाये।