रूमैटाएड आथ्राइटिस – जोड़ों मे दिक्कत
यह जोड़ों की आम बीमारी है जिसमें जोड़ें मे सूजन आ जाती है। समय के बीतने के साथ यह सूजन जोड़ों के ऊतको को नष्ट कर देती है। जिससे अपंग होने की सम्भावना रहती है। यह बीमारी आमतौर पर महिलाओं मे पुरूषों की अपेक्षाकृत काफी अधिक होती है।
इस रोग की शुरूआत 50 से 70 वर्ष के बीच में होती है। रूमैटाएड आथ्राइटिस शरीर के किसी भी जोड़ को प्रभावित कर सकती है। मुख्यतः हाथों, पैर, घुटने, कंधे और कूल्हे के जोड़ों को।
लक्षण :
व जोड़ों में सूजन आ जाती है।
व सूजन वाले स्थान पर दर्द भी होता है।
व जोड़ों में अकड़न, सूजन, लाली जा जाती है।
व जोड़ काम करना बंद कर देते है।
व यह कलाइयों और हाथों के जोड़ों को भी प्रभावित करता है।
व कई बार रूमाटाइड आथ्राइटिस आँखों, फेफड़ों हृदय नसों तथा रक्त कोशिकाओं को भी प्रभावित कर सकता है।
कारण –
रूमैटाइड आथ्राइटिस का कारण अज्ञात है यह माना जाता है कि इसका मुख्य कारण आटोइम्यून डिसफंक्शन है। रूमैटाइड सामान्यतः लंम्बे समय तक बना रहता है और सूजन वाले जोड समय के साथ क्षतिग्रस्त हो जाते है। अलग- अलग लोगों पर इसका अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। कई लोग ऐसे है जिनमें इसका असर कम देखने को मिला है। कुछ में ज्यादा और स्थिति दिनांदिन बिगड़ती जाती है। यह बच्चों और बुजुर्गो को भी हो सकता है प्रमुखतः इसके अधेड़ उम्र के लोग ज्यादा प्रभावित होते है।
कुछ व्यक्तियों में इसे वंशानुगत भी पाया जाता है। भारत में 2.8 प्रतिशत लोग इससे प्रभावित पाये गये है। इससे पीड़ित व्यक्तियों में आर0एच0 फैक्टर पाया जा सकता है जिससे इस रोग की प्रगति के बारे में कहा जा सकता है।
होम्योपैथिक चिकित्सा :
स्मैटाइड से पीड़ित व्यक्ति अक्सर इनीमिया के शिकार होेते है इससेे पीड़ित का पूर्णतया रोग से छुटकारा संभव नही है परन्तु होमियोपैथी के सही उपचार के द्वारा कुछ समय के भीतर अपंगता से राहत मिलने लगती है तथा जोड़ काम करने लायक होने लगते अगर उपचार शीघ्र शुरू किया जाए।
इस मर्ज के इलाज के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि पीड़ित व्यक्ति दर्द निवारक दवाओें पर निर्भर न होकर क्योंकि दर्द तो कुछ कम हो जाता है लेकिन मर्ज बढ़ता जाता है। इसलिए व्यायाम करें खान – पान में नियंत्रण रखे और होम्योपैथिक चिकित्सक के निर्देशानुसार ही दवा का सेवन करे। रोग की शुरूआत में रसटोक्स, ब्रायोनिया, लीडम पाल काफी असरदार दवाईयां है।