गैस्टाइटिस
पेट के म्युकस मेम्ब्रेन में होने वाली सूजन को गैस्ट्राइटिस कहते है।
आज के इस भागम दौड़ जिन्दगी में जब सब काम जल्दी- जल्दी करने की आदत बढ़ती जा रही है। ‘‘जल्दी‘‘ अब एक ऐसा शब्द है जो हर वाक्य के साथ जुड़ता जा रहा है तो तमाम तरह की बीमारियाँ भी उम्र से पहले जल्दी हो जाती है।
आज जब भारतीय व्यंजनों की जगह फास्ट फूड ले रहे है, लोग दूध कम ले रहे है तला भुना ज्यादा ले रहे है साथ में शारीरिक व्यायम कम होते जा रहे है तो गैस्ट्राइटिस की मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। उपरोक्त कारणों के अतिरिक्त कच्चे फल, धुम्रपान मद्यपान, कुछ दर्द निवारक दवाइयों इसके प्रमुख करण है –
इसके प्रमुख लक्षण –
पेट दर्द, भारीपन, उल्टी जी मचलाना कब्ज है – गैस्ट्राइटिस होने के पहले लोगों का पेट फूलना डकारें आना, सीने में जलन होना, हल्का दर्द होना, मुंह में खट्टा पानी आना जैसे लक्षण होते है। जिसका प्रमुख कारण – खाने को ठीक से न चबा पाना, जल्दी- जल्दी खाना, उलझन, खराब ब्रेड, कृत्रिम रूप से पकाये कच्चे फल, ज्यादा मद्यपान धुम्रपान करना है। इसके अलावा दर्द निवारक दवाओं का इस्तेमाल, ज्यादा चाय काफी लेना।
इन लक्षणों का ठीक समय से निवारण न करनें पर गैस्ट्रिक अल्सर में बदलनें की संभावना रहती है इसके अलावा लिवर या गाल ब्लैडर की बीमारियो में भी उपरोक्त लक्षण हो सकते है।
इरोसियन हमेशा गैस्ट्राइटिस के साथ होता है और कभी -2 इसमें खून भी रिसता है। इरोसियन बीमारी के जटिलता का संकेत है जिसे एक शिक्षित होम्योपैथ चिकित्सा से आसानी से समाप्त कर सकता है। इरोसियन की समस्या मद्यपान करने वाले व अक्सर दर्द निवारक दवायें ;छ।ैप्क्द्ध लेने वालों में ज्यादा होती है। कभी -2 इसके कोई भी लक्षण प्रकट भी नहीं होते।
निदान – एण्डोस्कोपी
चिकित्सा –
होम्योपैथी दवाओं के चुनाव में मरीज को अपने लक्षणों की सम्पूर्ण जानकारी देनी चाहिए, जैसे जलन कब बढ़ती है, खाने के पहले या बाद में खाने के काफी देर बाद इत्यादि। दर्द मे कैसे आराम मिलता है आगे झुकने से अथवा ठण्डा दूध पीने से, इत्यादि, उल्टी से दर्द में आराम मिलता है कि नहीं या ऐसा लगता है अगर थोड़ी उल्टी हो जाये तो आराम मिल जाये। इसके लिए होम्योपैथी में एक नक्स वोम अच्छी दवा है लेकिन सारे मरीजों को सिर्फ एक ही दवा नहीं दी जा सकती हैं इसीलिए नक्सवोमसे अगर आराम नहीं मिलता है तो किसी कुशल होम्योपैथ से इसका इलाज कराकर इससे मुक्त हो जाना चाहिए और किसी भी तरह की जटिलता से बचना भी आसान हो जाता है।